टैक्स फ्री बॉन्ड और टैक्स सेविंग बॉन्ड के बीच अंतर
बाजार में निवेश के कई विकल्प मौजूद हैं। हर विकल्प की अपनी अलग विशेषताएं हैं। कोई टैक्स लाभ प्रदान करना है, तो कोई अधिक दर पर रिटर्न देता है। किसी में निवेश करने पर बहुत जोखिम होता है, तो किसी में जोखिम न के बराबर होता है। किसी में उच्च लिक्विडिटी होती है, तो किसी में राशि एक निश्चित अवधि तक लॉक हो जाती है। विभिन्न प्रकार के निवेश विकल्प होने के बाद भी आम निवेशकों को सरकार द्वारा समर्थित विकल्प अधिक पसंद आते हैं। इसी तरह का एक विकल्प बॉन्ड होता है और अधिकांश लोग कर मुक्त बॉन्ड (टैक्स फ्री बॉन्ड) और कर की बचत करने वाले बॉन्ड (टैक्स सेविंग बॉन्ड) को लगभर एक समान समझते हैं, लेकिन वास्तव में यह दोनों काफी अलग होते हैं। इसलिए इस लेख के माध्यम से दोनों के बीच के अंतर को समझाया जा रहा है।
सरकार बॉन्ड पर टैक्स लाभ क्यों प्रदान करती है?
पीएफसी और आरईसी जैसे शीर्ष संस्थानों में इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए पैसों की आवश्यकता होती है। इन परियोजनाओं में निवेश करने के लिए सरकार निवेशकों को टैक्स फ्री बॉन्ड का प्रलोभन देती है। निवेशक टैक्स फ्री बॉन्ड में निवेश करके टैक्स लाभ प्राप्त कर सकता है। इस कारण निवेशक परियोजनाओं में पैसा लगाता है, जिससे अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत होती है और विकास होता है।
टैक्स फ्री बॉन्ड
ये वे बॉन्ड होते हैं, जिन्हें खरीदने पर ब्याज के माध्यम से होने वाली आय पूरी तरह से टैक्स फ्री होती है। ये बॉन्ड सरकारी संस्थाओं या सरकार द्वारा समर्थित संस्थाओं द्वारा जारी किए जाते हैं। इन संस्थाओं में सरकार की हिस्सेदारी होती है। इन बॉन्ड में डिफॉल्ट का जोखिम न के बराबर होता है या बहुत कम क्रेडिट जोखिम होता है। टैक्स फ्री बॉन्ड की अवधि बहुत लंबी होती है, जो 10-20 वर्षों तक होती है। इसलिए आपको टैक्स फ्री बॉन्ड में तभी निवेश करना चाहिए, जब आप लंबी अवधि तक निवेशित रह सकें। सबसे लोकप्रिय टैक्स फ्री बॉन्ड नगरपालिका के बॉन्ड होते हैं। यह निश्चित ब्याज की पेशकश करते हैं। यह बहुत कम जोखिम वाला निवेश होता है। इनमें निवेश करने पर आयकर अधिनियम की धारा 10 के तहत टैक्स छूट मिलती है। टैक्स फ्री बॉन्ड के माध्यम से प्राप्त किए गए पैसों का उपयोग अर्थव्यवस्था में बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।
टैक्स फ्री बॉन्ड में कौन निवेश कर सकता है?
वे लोग, जो वरिष्ठ नागरिकों की तरह स्थिर और निश्चित आय चाहते हैं, टैक्स फ्री बॉन्ड में निवेश करना चुन सकते हैं। इनमें डिफॉल्ड का जोखिम न के बराबर होता है तथा इनकी अवधि अधिक होती है। यह एचएनआई और फिल्मी सितारों जैसे उच्च टैक्स स्लैब में आने वाले निवेशकों के लिए एक उत्कृष्ट निवेश विकल्प होते हैं। लंबी अवधि तक निवेशित रहने की क्षमता रखने वाले निवेशक भी टैक्स फ्री बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं।
टैक्स फ्री बॉन्ड की विशेषताएं
टैक्स फ्री बॉन्ड की कई विशेषताएं होती हैं, जिनमें से कुछ निम्न हैं –
- ब्याज के रूप में प्राप्त आय टैक्स फ्री होती है। इन बॉन्ड पर कोई टीडीएस नहीं लगता। यह एफडी की तुलना में अधिक कर-कुशल होते हैं।
- क्रेडिट का जोखिम बहुत ही कम होता है।
- इन बॉन्ड्स को लिक्विड (तरल) कराना आसान नहीं होता। इन बॉन्ड की अवधि अधिक होती है।
- इनकी लॉक-इन अवधि 10-20 साल होती है।
- इनसे मिलने वाला रिटर्न क्रय मूल्य पर निर्भर करता है।
- ब्याज दरें प्रति वर्ष 5.5-6.5% तक होती हैं।
टैक्स सेविंग बॉन्ड
टैक्स सेविंग बॉन्ड आपके द्वारा निवेश की गई राशि पर टैक्स लाभ प्रदान करते हैं। इन बॉन्ड्स में निवेश के माध्यम से अर्जित ब्याज कर (टैक्स) योग्य होता है।
- टैक्स सेविंग बॉन्ड में निवेश करने पर आयकर अधिनियम की धारा 80 सीसीएफ के तहत अतिरिक्त टैक्स लाभ मिलता है। इनमें निवेश करने पर निवेशक प्रति वर्ष 20,000 रुपये तक की कर कटौती का दावा कर सकता है। इसका मतलब यह है कि इन बॉन्ड में निवेश करने पर निवेशक अपनी कर योग्य आय को 20,000 रुपये तक कम कर सकता है।
- कम जोखिम लेकर निवेश करने की चाह रखने वाले रूढ़िवादी निवेशकों के लिए विशेषज्ञ इसे आदर्श निवेश विकल्प मानते हैं। हालांकि अन्य निवेश विकल्पों की तुलना में टैक्स सेविंग बॉन्ड में निवेश करने पर मिलने वाला रिटर्न कम होता है, क्योंकि अन्य विकल्पों की तुलना में इनमें जोखिम भी कम होता है। अल्पकालिक रिटर्न की चाह रखने वालों के लिए इसमें निवेश करना सही नहीं है।
टैक्स सेविंग और टैक्स फ्री बॉन्ड की तुलना
- टैक्स सेविंग बॉन्ड की तुलना में टैक्स फ्री बॉन्ड थोड़ी अधिक ब्याज दर की पेशकश करते हैं। निवेशक टैक्स फ्री बॉन्ड में 5 लाख रुपये तक का निवेश कर सकते हैं। टैक्स फ्री बॉन्ड आमतौर पर दीर्घकालिक निवेश विकल्प होते हैं, जिनकी अवधि 20 वर्ष तक होती है।
- टैक्स सेविंग बॉन्ड और टैक्स फ्री बॉन्ड दो अलग-अलग प्रकार के निवेश विकल्प हैं। टैक्स सेविंग बॉन्ड में निवेशक निवेश की गई मूल राशि पर टैक्स लाभ प्राप्त कर सकते हैं, जबकि टैक्स फ्री बॉन्ड में अर्जित ब्याज पूरी तरह से टैक्स फ्री होता है।